sidh kunjika No Further a Mystery
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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥
This Mantra is penned in the form of a dialogue between a guru and his disciple. This Mantra is thought to generally be The true secret to your peaceful state of brain.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
इश्क के जाल में फंसाकर चल रहा ठगी का खेल, जानें क्या है इससे बचने का तरीका?
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही here दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.